बेनीवाल ने बाड़मेर में हुंकार रैली की और हर जगह प्रचार किया कि उसमें लाखों लोग आये थे, चूँकि उस समय की वह कोई बड़ी खबर नहीं थी इसलिए लोगों ने ध्यान नहीं दिया और धीरे धीरे लोग केवल प्रचार के माध्यम वाली खबरें ही देखने लगे जिससे कुछ लोग ये भी मानने लग गए कि लाखों लोग आये होंगे|

चुनावी प्रचार दिल्ली बंगलौर से करवाते हैं राजनेता 

किसी भी नेता को अपनी आईटी टीम का गठन करना होता है तो आजकल इसके लिए बेहद सस्ते पैकेज मिल जाते हैं जहाँ पर नेता के बारे में एक से बढ़कर एक बढ़िया पोस्ट बनायी जाती है जो सौ फ़ीसदी तक गप हो सकती है मगर नेता की इमेज बनाने में मदद करती है, जहाँ दस से बीस करोड़ के प्रिंट विज्ञापन ऐसी इमेज नहीं बना पाते थे वहीँ ऐसी आईटी कंपनियां पांच से दस लाख महीने में इतनी बढ़िया हवा बना देती हैं जितनी में नेता की इमेज को पंख लग जाते हैं

हुंकार लाइव को 7 लाख से कम और सीकर टाइम्स के खुलासे को 7 लाख से ज्यादा देख चुके 

सच को दबाने के लिए जितनी राजनेता के समर्थकों ने गालियां दी उतने ज्यादा एक्सपोज़ किये, अब तो ये हालत हो गई है कि जैसे ही कोई लाखों की भीड़ बोलता है सब "दस हजार ही थे लिखने" लग जाते हैं
वीडियो पर अभी कितने काउंट चल रहे हैं यहाँ देखें --> गप ही गप 


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