सीकर : पिछले एक महीने से पत्रकार डॉ यशवंत पर रालोपा के हज़ारों समर्थक मारने पीटने की धमकी,दबाव, परिवार को ख़त्म करने की धमकी और बहिन बेटियों की अश्लील टिप्पणियां कर रहे थे जिनका अभी तक आधिकारिक रूप से रिलेशन नहीं निकाला जा रहा था और पत्रकार ही मान रहे थे कि सभी के सभी फर्जी अकाउंट हो सकते हैं क्यूंकि ऐसा करना किसी भी विरोधी के लिए बड़ी बात नहीं है मगर अब मामला पूरा बदल चूका है
महिपाल महला है RLP प्रवक्ता
RLP में स्वच्छ और निर्विवाद छवि के गिने चुने नेता हैं जिनमें सबसे पहले नंबर आता है महिपाल महला का और इसीलिए उन्हें पार्टी की तरफ से प्रवक्ता बनाया गया है , जैसे हर प्रवक्ता का काम होता है कि पार्टी का बचाव किया जाए हर मुद्दे पर वैसा वो हमेशा करते रहे हैं
पहले हमेशा नकारते रहे हैं पार्टी कार्यकर्ताओं की तरफ से दबाव की बात
ऐसा नहीं है कि पहले दिन से ही महला ने दबाव बनाने की कोशिश मानी हो, जब सीकर टाइम्स को फोन,व्हाट्सअप,फेसबुक,यूट्यूब पर धमकियाँ मिल रही थी जो RLP के कार्यकर्ताओं का प्रोफाइल था और उनकी शिकायत की गयी तो उसको महला ने पूरी तरह खारिज कर कहा था कि ये विरोधियों की चाल है और वो तो पार्टी ही नहीं बल्कि जाट होने के नाते भी पत्रकार डॉ यशवंत के साथ है मगर अब उन्होंने खुद फेसबुक पोस्ट डालकर स्वीकार कर लिया है कि दबाव आधिकारिक तौर पर ही बनाया जा रहा था | https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1320741734749618&set=a.538825179607948&type=3
पार्टी जो कहती है प्रवक्ता वो करता है
महिपाल महला के आश्चर्यजनक बयान से पहले लगा कि उनका अकाउंट हैक हो गया है मगर अब क्लियर हो चूका है कि या तो उनको पार्टी की तरफ से खुलकर दबाव बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है या वो खुद पार्टी की पोल खोल रहे हैं
RLP से बीजेपी का गठबंधन होने पर भी महला किसी भाजपा मंच पर नहीं दिखे
स्वामी सुमेधानंद की नामांकन रैली से एक दिन पहले महला ने रामलीला मैदान से फोटो खींचकर डाली थी कि अगले दिन वो मंच पर दिखाई देंगे मगर उन्हें मंच पर जगह नहीं मिली और न ही पूरे सीकर जिले में कहीं रालोपा और भाजपा का संयुक्त सभा या रैली दिखी, ऐसे में महला को नागौर का रुख करना पड़ा और सीमित होकर रह गए
अस्पताल घटना के बाद बेनीवाल खुद आये थे पत्रकार पर दबाव बनाकर केस हटवाने
पत्रकार डॉ यशवंत को फोन कर बेनीवाल ने सर्किट हाउस बुलाया और समर्थकों से अस्पताल मालिक के जाट होने और पार्टी के लिए रिसोर्स मुहैया कराने वाले का हवाला कर केस वापस लेने का प्रथम दबाव बनाया जिसे सीधे तौर पर खुद न कहकर वहां मौजूद समर्थकों द्वारा कहलवाया और किसी भी दबाव बनाने वाले को रोका नहीं , बस ये कहा "तू तो भाई है मेरा, तेरा सेटलमेंट में करवा दूंगा, केस वेस में कुछ नहीं रखा" मगर पत्रकार ने केस वापस नहीं लिया
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