सीकर : कम ही ऐसा होता है कि कोई राजनैतिक दल बंद बुलाये और बंद फ़ैल हो जाए, कल जहाँ बंद का कोई खास असर देखने को नहीं मिला वहीँ लोग ये भी कहते दिखे कि कुछ एक दुकान बंद क्यों है
विधान सभा चुनाव के दौरान महेंद्र सैनी के साथ हुई थी मारपीट
कुछ महीने पहले विधान सभा चुनाव के दौरान महेंद्र सैनी के साथ मारपीट हो गई थी जिसमें सैनी को काफी चोटें आयी थी इसपर पार्टी ने विरोध जरूर दर्ज करवाया था मगर बंद तक बात नहीं पहुंची थी, सैनी समाज ने सैनी मंदिर में मीटिंग भी बुलाई थी जिसमें वक्ताओं ने पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं पर साथ नहीं देने की बात कही थी | बता दें कि महेंद्र सैनी के परिवार से एक व्यक्ति भाजपा का पार्षद भी रहा हुआ था मगर आरोप लगाए जाते हैं कि बढ़ती लोकप्रियता को घटाने के लिए उनको ठन्डे बस्ते में लगा दिया गया
सीकर टाइम्स के पास होती है सटीक जानकारी
बंद करवाते और बंद खुलवाते दीखते रहे लोग
जहाँ बहुत कम संख्या में कुछ लोग बंद करवाते दिखाई दिए जिनको पुलिस ने हिरासत में लेकर रानोली जाकर छोड़ दिया वहीं कुछ लोग डाउन करे शटर को वापस खोलते दिखाई दिए ऐसे में ये बंद पूरी तरह फ़ैल दिखा, बता दें कि सुधीर गर्ग के साथ मारपीट होने पर बंद का आह्वान किया गया था जहाँ मारपीट के दौरान उनकी शर्ट फट गई थी और होठ पर सूजन तक आ गयी थी
शिव भगवान सार्डीवाल ने भी कुमावत समाज से बंद में शामिल नहीं होने की अपील की
सीकर लोक सभा उम्मीदवार ने भी बंद में भेदभाव वाली नीति को मुद्दा बनाकर कुमावत समाज से बंद का विरोध करने की अपील जारी की, ये भी बताया जा रहा है कि सार्डीवाल ही इसकी पहले दिन से खिलाफत कर रहे थे
लालचंद सैनी मामले में भी भेदभाव का आरोप
कुछ समय पूर्व मजदुर लालचंद सैनी के साथ मारपीट और घटना को दबाने के लिए पत्रकार यशवंत पर भी घात लगाकर हमला करने के समय भी सैनी समाज ने भेदभाव का आरोप लगाया था | यह भी आरोप लगे थे कि राजनैतिक पार्टी ही खुद मामले को दबाने में लगी हुई थी क्यूंकि कमजोर वर्ग का साथ देने में उनको कोई फायदा नहीं दिख रहा था
रतन सैनी व अन्य वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता भी बंद के समर्थन में थे
जहाँ सैनी समाज के कुछ लोग इसको लेकर रोष में थे वहीँ भाजपा के कर्मठ और कोर कार्यकर्ता रतन सैनी सुरेश सैनी को पार्टी लाइन के साथ बंद के समर्थन में देखा गया , वैसे सुरेश सैनी थोड़ी देर दिखाई दिए फिर कोई जरुरी काम आ जाने से चलते बने, उनके जाते ही रतन सैनी को कार्यकर्ताओं ने जाने नहीं दिया अन्यथा उनको भी जरुरी काम बताया जा रहा था
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