सीकर : बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों के पास मीडिया जाता है, मगर निर्दलीय उम्मीदवार भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है, सभी के पास जाकर इंटरव्यू लेना और मुद्दों पर उनका दृष्टिकोण जनता तक पहुँचाना बड़ी मीडिया चाहती नहीं है और बाकि के पास संसाधन नहीं होते इसलिए आप अपना सन्देश रिकॉर्ड कर भेज सकते हैं
दस मिनट के अंदर सभी मुद्दे स्पष्ट कर दें
जिन भी मुद्दों को लेकर आप चुनाव में जा रहे हैं उनको दस मिनट के वीडियो में स्पष्ट कर दें और अपनी फेसबुक वाल पर अपलोड कर लिंक भेज दें, सीकर टाइम्स उसको शेयर करेगा, आप अपने मुद्दे सीधे भी हमें भेज सकते हैं जिसको हम अपने चैनल पर अपलोड कर देंगे
वीडियो को मोबाइल से भी रिकॉर्ड कर सकते हैं
वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए आप किसी भी बढ़िया कैमरा से रिकॉर्ड कर सकते हैं, हम उसको सोशल मीडिया के हिसाब से थोड़ा बहुत एडिट कर देंगे, नाम वगैरह लगा देंगे और कोई फोटो साथ लगनी है तो कर देंगे इसके ज्यादा आपको एडिट करना है तो किसी भी वीडियो स्टूडियो से एडिट करवा लें और भेजें
केवल हमें ही नहीं सभी को भेजें
ध्यान इतना रहे एक वीडियो एक ही पोर्टल को भेजें क्यूंकि एक बार चलने के बाद उसमें नयापन ख़त्म हो जाता है, अगर एक से ज्यादा पोर्टलों को भेजना है तो सभी से एक ही टाइम मांग लें अपलोड करने का जिससे आपको व्यापक कवरेज मिले
कोई चार्ज नहीं है
सीकर टाइम्स ने आज तक किसी से कोई चार्ज नहीं लिया है और न ही आगे कभी लेगा मगर दूसरे पोर्टलों का हमें पता है वो पैसे लेते हैं तो इसमें कोई हर्ज नहीं, क्यूंकि अख़बार के पंद्रह लाख का पैकेज के आगे आप सोशल मीडिया पर दस पांच हज़ार किसी को विज्ञापन के रूप में दे देते हैं तो उसको फायदा होगा, मगर ध्यान रखें कि पैसा वाला वीडियो अपलोड करवाने पर उसपर विज्ञापन लिखवा लें, बिना विज्ञापन लिखा वीडियो अपने अगर किसी पोर्टल को पैसे देकर चलवाया तो सीकर टाइम्स आपकी स्टोरी चलाने में बिलकुल नहीं हिचकेगा
प्रिंट की कवरेज बहुत कम है औ
र एक घंटे में आउट हो जाती है
अखबार केवल एक घंटे का होता है और उसपर लगाए गए पचास हज़ार के विज्ञापन को भी ज्यदातरः लोग देखते पढ़ते भी नहीं हैं मगर वीडियो के व्यूज ये सुनिश्चित करते हैं कि उसको कितना देखा गया है और प्रिंट के आगे डिजिटल सौ गुने से भी ज्यादा इम्पैक्ट देता है साथ ही ज्यादा जानकारी पहुंचता है इसलिए इन चुनावों में नब्बे प्रतिशत तक 2014 के चुनावों के comparison में प्रिंट में विज्ञापन नहीं आ रहे हैं और प्रिंटिंग प्रेस वालों के पास भी आर्डर का अकाल पड़ गया है
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