राज्य में अभी तक कोई बड़ी हलचल नहीं हुई थी जैसे विधानसभा में चल रही थी और सुस्त पड़े चुनाव में पहला धमाका श्री राष्ट्रीय राजपूत करनी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने कर दिया है | इसके कयास बहुत पहले से ही चल रहे थे जब से गोगामेड़ी ने रानी के पक्ष में भाजपा को समर्थन दिया था और मानवेन्द्र सिंह के खिलाफ वोट डालने का आह्वान किया था
गोगामेड़ी को टिकट कैसे मिलेगी भाजपा से ?
विधान सभा चुनाव मात्रा आधे प्रतिशत के फेर से भाजपा हार गई थी जिसमें आग लगाने का सबसे बड़ा काम गोगामेड़ी ने ही किया था और राज्य के अधिकतर क्षत्रिय युवाओं तक पहुँच भी बनाई थी मगर अंत आते आते गेम में बदलाव आ गया और गोगामेड़ी अचानक वसुंधरा के पक्ष में खड़े नजर आये जिसपर क्षत्रिय वोटरों को बहुत ज्यादा आपत्ति नहीं थी मगर मानवेन्द्र के खिलाफ जाना बड़ी आपत्ति थी, चुनाव में आधे प्रतिशत का अंतर ही नहीं रहता तो गोगामेड़ी की पोजीशन और कुछ हो सकती थी मगर कम प्रतिशत से चुनाव हारना और अपने समर्थकों का भाजपा के खिलाफ माहौल बनाना इसमें एक फैक्टर रहा है, इन सबके चलते गोगामेड़ी एक प्रभावशाली नाम बन गए
क्या गोगामेड़ी मानवेन्द्र के खिलाफ नहीं लड़ सकते ?
देखा जाए तो गोगामेड़ी को मानवेन्द्र के खिलाफ टिकट मांगनी चाहिए थी मगर मानवेन्द्र के नाम पर जिस तरह समर्थकों में जबरदस्त फूट पड़ गई थी उसकी वजह से गोगामेड़ी भी बैकफुट पर थे और वापस अपने समाज में धमक बनाने के लिए मौका ढूंढ रहे थे, इस प्रकार हनुमान बेनीवाल के खिलाफ उनको चुनाव लड़ना बड़े फायदे का सौदा लगा
गोगामेड़ी चुनाव जीतें या हारें, वो बड़े राजनेता बन जाएंगे
हनुमान बेनीवाल और गोगामेड़ी आपस में जमकर बयानबाज़ी करते हैं मगर बेनीवाल के पास राजनैतिक पृष्ठभूमि है तो गोगामेड़ी के राजनैतिक सिपहसालार तक हाल फ़िलहाल उनसे दूर हैं जिसके चलते गोगामेड़ी को अपने ही समर्थकों में वापस विश्वास हासिल करना और चुनाव जीतना बड़ा काम है, गोगामेड़ी को उम्मीद है इस कदम से बिछड़े दोस्त भी वापस खेमे आ जाएंगे और बाकि बातें इतिहास हो जायेगी
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