नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मोदी को नए भारत का स्वर्णिम अवसर माना जाता है मगर अब मामला आर पार का होना चाहिए | हिन्दुवाद, राम मंदिर से ऊपर है राष्ट्रवाद जिसके अग्रणी मोदी हैं और पूरा देश उनकी ओर देख रहा है
डॉ यशवंत
(लेखक के विचार निजी हैं, आप इससे सहमत या असहमत हो सकते हैं )
पांच साल में नहीं हुआ मुसलमानों के साथ कुछ ऐसा वैसा
राजनैतिक कुछ भी कहें, पिछले चुनाव से पहले देश भर में शोर मचा हुआ था कि मोदी आ गए तो मुसलमानो के साथ न जाने क्या से क्या हो जाएगा जो सब विरोधियों का जुमला साबित हुआ, आज किसी भी संप्रदाय का कोई भी नागरिक किसी दूसरे से अलग नहीं है, ये हो सकता है कि सभी प्रेशर में हो या सभी के अच्छे दिन आ गए हों मगर ये कदापि नहीं है कि किसी एक संप्रदाय को केवल सांप्रदायिक कारणों से नरसंहार का सामना करना पड़ा हो या धर्म परिवर्तन करना पड़ा हो | विपक्षी पार्टियों ने सत्ता में भाजपा को आने से रोकने के लिए जो छवि पेश की वो अफसोसजनक रही , इसके लिए विपक्षी पार्टियों को देश से माफ़ी मांगनी चाहिएयोगी मोदी होते हुए भी राम मंदिर पर नहीं हुआ कोई अनावश्यक फैसला
संविधान को सर्वोपरि मानते हुए अभी तक कोई गैरकानूनी घटना नहीं हुई है जिसकी वजह से देश का नाम विश्व में ख़राब होता, अब यह इतिहास है कि आपके सर्व बलशाली होते हुए भी किसी से साथ अन्याय नहीं हुआ हैमीडिया के झांसे में मत आओ, अनुच्छेद 370 में देश का एक ही रुख है
मीडिया को जिस भी पार्टी ने खरीदने की कोशिश की है उस पार्टी को मीडिया ने इतना बढ़ा चढ़ा कर पेश किया कि उस पार्टी को नुक्सान हुआ, इसका केवल एक नहीं बल्कि हर एक चुनावी हर उदहारण है, पिछले चुनाव में ये मीडिया आपके विरूद्ध थी और जनता आपके साथ, इस बार मीडिया को आपके कसीदे पढ़ते हुए सांस तक नहीं आती है और ये बात आपके लिए पूरी तरह विरूद्ध है | हर धर्म संप्रदाय के नागरिक यही चाहते हैं कि धारा 370 ख़त्म की जाए और दो चार लोग जो हर किसी बात का विरोध करने की प्रवति है मीडिया द्वारा उसको बढ़ा चढ़कर पेश करना देश की हानि हैकौन मना कर रहा है उन लोगों को सामने लाओ
चुनाव को कुछ समय बाकि है, दोबारा देश के पास यह अवसर आये न आये, आज अवसर है, नेतृत्व है और हर देशवासी को आपसे आस है, इस मुद्दे पर जिसने आपसे असहमति व्यक्त की उसको जनता जवाब देगी यह तय है, फिर इंतज़ार कैसा, जनता आपके प्रवक्ताओं पर भरोसा उतना नहीं करती जितना अपनी खुदकी आँखों पर करती है, आप आपातकालीन सत्र बुलाओ, अध्यादेश लेकर आओ, जनता खुद देख लेगी कौन देश के खिलाफ जा रहा है|डॉ यशवंत
(लेखक के विचार निजी हैं, आप इससे सहमत या असहमत हो सकते हैं )
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