सीकर: कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की सीकर सभा की तैयारियाँ जोरों पर है। यह मौक़ा कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए एकजुटता दिखाने का बड़ा मौक़ा है और साथ ही स्थानीय नेताओं के लिए राज्य स्तर पर पहचान बनाने का भी सुनहरा अवसर है। देखा जाए तो कांग्रेस के लिए हर प्रकार से सोने पर सुहागा वाला मौका है
बड़े शहरों के अलावा छोटे शहरों में भी बड़ी सभाओं से मिलेगी ताकत
सीकर ज़िले के धोद विधानसभा क्षेत्र में हुआ प्रोग्राम मेरा बूथ मेरा गौरव राज्यभर का सफलतम प्रोग्राम था जिसमें परसराम मोरदया के अलावा सुभाष महरिया ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया था जिसको लेकर सचिन पायलट भी काफ़ी उत्साहित थे। सीकर में प्रोग्राम करके सचिन पायलट बीकानेर की सभा के लिए निकल गये थे मगर बीकानेर में सीकर जैसा माहौल नहीं बन पाया था। प्रोग्राम के दौरान ही सुभाष महरिया ने भी मंच से ही सचिन पायलट से आश्वासन ले लिया था कि राहुल गांधी की सभा भी सीकर में करवाई जाए जिसे सचिन पायलट ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से विचार कर सीकर सभा जल्द कराने का भी आश्वासन भी दे दिया था। देखा जाए तो राहुल गांधी का यह दौरा सुभाष महरिया और परसराम मोरदया के प्रोग्राम को राष्ट्रीय स्तर पर सफल मानने का सर्टिफिकेट भी है
गहलोत और अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता आ सकते हैं एकजुट नज़र
सचिन पायलट की सभा के दौरान सभी कार्यकर्ताओं के दिमाग़ में एक ही सवाल था कि गहलोत क्यूं नहीं आए जिसका जवाब में जिलाध्यक्ष PS जाट ने कहा था गहलोत को ज़रूरी काम से राहुल गांधी के पास जाना पड़ गया था मगर गोविंद सिंह डोटासरा प्रोग्राम में क्यों नज़र नहीं आए इस पर कहीं से जवाब नहीं आया। इसके कुछ समय बाद कलेक्ट्रेट पर डोटासरा के विधानसभा क्षेत्र में लापता एक बच्ची के परिजन जब अनशन कर रहे थे तो बड़े कांग्रेसी नेता समर्थन देने पहुँचे जिसके चलते विरोधियों को टांग खींचने का मौक़ा मिला और अफवाहें चली कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। राहुल गांधी की सभा में गहलोत और उनके नजदीकी भी नजर आऐंगे जिसके चलते एकजुटता दिखाई देगी।
सीकर कांग्रेस का प्रभाव राज्य की राजनीति में बढ रहा है
सीकर ज़िला वैसे भी हर प्रकार के आंदोलनों और राजनैतिक सरगर्मियों की परोक्ष राजधानी के रूप में माना जाता रहा है मगर पिछले कुछ समय में बड़े मौकों पर सीकर कांग्रेस ने अपना दबदबा बढाया है। कठुआ और उन्नाव की घटनाओं के विरोध प्रदर्शनों को सबसे ज़्यादा दमदार तरीक़े से सीकर ज़िले से ही आवाज़ मिली थी जिसमें सीकर कांग्रेस की कैंडल मार्च देश भर की किसी भी कैंडल मार्च से ज़्यादा पॉपुलर हुई थी जिसे 33 हज़ार शेयर मिले थे और साथ ही 12 लाख से ज़्यादा लोगों ने देखा था। वीडियो सीकर टाईम्स के फेसबुक पेज पर अपलोड हुआ था। वर्तमान चुनावी समय में जहाँ भाजपा की IT सैल का कुछ अता पता अभी तक नहीं दिख रहा है वहीं कांग्रेस की IT सैल अपने कार्य प्रणाली के ज़रिये काफ़ी अंदर तक पहुँच बना चुकी है। एक और बड़ा कंपैरिजन जो साफ़ तौर पर देखा जा सकता है वह यह है कि जहाँ भाजपा के सोशल मीडिया प्रभारी के स्वयं के वीडियो या पोस्ट लाईक शेयर होने का इंतजार करते रहते हैं वहीं कांग्रेस के वीडियो तुरंत वायरल हो जाते हैं।
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