कहने को ये अपने आप को डॉक्टर कहते है चाहे अभी पढाई पूरी नहीं की हो मगर भाषा इरादा किसी सड़क छाप गुंडे से ज्यादा नहीं है। ऐसे घटिया मानसिकता वाले लोग डॉक्टर बनने के बाद मरीजों का खाक इलाज करेंगे। दूसरों को औकात बताने वीलों की असली औकात वाले स्क्रीनशॉट देख लो। एक तो अपने आप को मेडिकल कॉलेज का वाईस चेयरमैन बताता है।

महिला की छाती पर गुंडा जानबूझकर वार कर रहा था

जो वीडियो शेयर किया था उसमें साफ तौर परमेडिकल गुंडा महिला की छाती पर वार कर रहा था जो इस सड़क छाप मानसिकता वाले को सही लग रहा था और वीडियो शेयर करना इसको इतना नागवार गुजरा कि खुद भी गुंडे के समर्थन में आ गया। महिला की छाती पर वार करने वाले को हम गुंडा मवाली ही बोलेंगे चाहे मवालियों के बीच उसे किसी भी नाम से बुलाया जाए। अपनी पोस्ट में जिस जनता से इमानदार पत्रकारिता के उपर हमला करने को उकसाने की बात कर रहा है पहले वो समझ ले कि हमारे उपर कातिलाना हमला जनता ने नहीं गुंडो ने किया था, जिसमें एक सरकार से तन्ख्वाह फतेहपुरा में नौकरी की लेता था और तलवे निजी अस्पताल के चाटता था। जनता वो थी जिसके टैक्स के पैसे पर ऐसे लोग पल रहे हैं और गुंडे मवाली जनता के साथ अन्याय कर रहे हैं। जनता मजदूर लालचंद के साथ खड़ी थी और हम भी उसी जनता का हिस्सा थे। 



डॉक्टरों की हजारों कहानियॉं फार्मेसिस्टों नर्सिंग कर्मचारियों के पास हैं

केवल मेडिकल की खबरों पर पोर्टल बना दें तो जनता का विश्वास न जाने कहॉं जाएगा। यदि ऐसे धमकीबाज डॉक्टर नहीं मानते और धमकी, शोषण की कहानियॉं जारी रहेंगी तो पोर्टल जल्द शुरू होगा। इसका फैसला डॉक्टरों को स्वयं करना है कि अपने बीच पनप रहे असमाजिक तत्वों को कैसे कन्ट्रोल करना है अन्यथा जिस जनता से ऐसे लोग सच्चाई को सोटा मारनी की बात कर रहे हैं उसी जनता में पहले ही मेडिकल अव्यवस्तताओं के प्रति भीषण रोष है। 



लोहे पर चोट करने से झन्नाटा हाथ में होता है

न तो सीकर टाईम्स की आवाज दुनिया भर के गुंडे मिलकर रोक पाए हैं न रुकेगी। जितना दिखता है वो अंश भर है। बैकग्राउंड में देश का सुधरना जारी है। अच्छे डाक्टर बहुतायत में हैं मगर वो सेवाभाव से अपने काम में लगे रहते हैं बाकि जो अपने आप को अभी भगवान मानकर यह सोच रहे हैं कि उनका नम्बर नहीं आएगा उनको ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। 

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