सीकर: क़ानून व्यवस्था की स्थिति लक्ष्मणगढ़ में पुलिस से संभाले नही सम्भली और एक अपहृत बच्ची के माता पिता को लक्ष्मणगढ़ से सीकर आकर न्याय माँगना पड़ रहा है मगर अब इस पर राजनीति भी गर्माने लगी है और साथ ही अंतर्विरोध जिसके बारे में सिर्फ़ बातें कही जाती थी वो साफ तौर पर दिखाई देने लग गया है
मोदी लहर में डोटासरा जीते थे चुनाव
दो दिन पहले सीकर टाइम्स ने ख़बर दिखाई थी की लक्ष्मणगढ़ में 14 साल की मासूम का अपहरण कर लिया गया है जिसमें पुलिस प्रशासन ने बड़ी ढिलाई के साथ मामले को आगे बढ़ाया, इस वजह से छह महीने बीत जाने पर भी बच्ची का कोई अता पता नहीं है और माँ बाप को कलेक्ट्रेट के सामने धरना देकर बैठना पड़ रहा है।
लक्ष्मणगढ में विधायक का जनता से कनेक्ट कितना?
लक्ष्मणगढ़ की पीड़ित जनता सीकर में आकर न्याय माँग रही है जिससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि वहाँ के राजनेता अपने जनता के साथ विश्वास क़ायम नहीं कर पा रहे। इसके साथ कांग्रेस के अन्य नेता सुभाष महरिया एवं परसराम मोरदया और साथ ही राजेन्द्र पारीक पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा रहे हैं।
सीकर टाइम्स में प्रकाशित ख़बर के बाद मामला पूरे ज़िले में फैल गया था मगर जिस विधानसभा क्षेत्र में घटना घटित हुई थी और जहाँ के पुलिस कर्मियों पर ढिलाई बरतने के आरोप हैं वहीं के विधायक गोविंदसिंह डोटासरा अभी तक कई दिखाई ही नहीं दिए हैं। और साफ़ तौर पर किसी भी विधानसभा क्षेत्र में घटना घटित होती है तो सबसे पहले वहाँ के विधायक की नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है कि वह प्रशासन और पुलिस के पास जाकर मामले को जल्द से जल्द पूर्ण कराने की कोशिश करे।
मेरा बूथ मेरा गौरव “धोद” में नहीं दिखे थे डोटासरा
कांग्रेस पार्टी का राज्य में सबसे बड़े प्रोग्राम मेरा बूथ मेरा गौरव जो सीकर ज़िले में सचिन पायलट के साथ सम्पन्न हुआ था उसमें जिले के एकमात्र नेता जो दिखाई नहीं दिए थे वो गोविंद सिंह डोटासरा ही थे। वैसे नारायण सिंह भी नहीं पहुँचे थे मगर उनकी उम्र काफ़ी ज़्यादा है और अब वो राजनीति से दूर हैं साथ ही नारायण सिंह के सुपुत्र जिन्हें अब विरासत मिल गई है वो अपने पिता के प्रतिनिधी बनकर प्रोग्राम में मौजूद थे। चुनाव नज़दीक होने पर भी आपसी गुटबाज़ी और एक दूसरे की टाँग खिंचाई कहॉं पहुंचेगी उस खबर पर पूरी जनता की नज़र बनी हुई है
मोदी लहर में डोटासरा जीते थे चुनाव
पिछले विधानसभा चुनाव डोटासरा जीते थे और इस कारण से पार्टी के कद्दावर सूची में उनकी रैंकिंग बढ गई है। हालांकि इसके पीछे कई फैक्टर रहे थे मगर फिर भी परफारमेंस के हिसाब से कई नेता पिछड़ गए थे जो गुटबाजी का बड़ा कारण माना जा रहा है। डोटासरा गहलोत निकटता भी सर्वविदित है।
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