अशोक गहलोत का हाल कुछ ऐसा हो गया है कि वह बोले तो फँसते हैं ना बोलें तो फँस जाते हैं। तीन दिन पहले उन्होने दोबारा से मुख्यमंत्री बनने के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी और कहा था कि चेहरा 10 साल से आपके सामने घूम रहा है। बात का बतंगड़ बन गया और सीकर टाईम्स भी सीधा पहुंच गया कांग्रेस सीकर प्रदेशाध्यक्ष से पूछने कि जब आपने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है तो आधिकारिक तौर पर सामने क्यों नहीं आता
सीकर टाइम्स का इंटरव्यू वायरल हो गया और सभी वाट्सएप ग्रुप में होता होता कांग्रेस आलाकमान तक पहुँचा जिसके बाद गहलोत अब यह बयान दे रहे हैं कि वह कहते कुछ है और मीडिया छापता कुछ और है। 
कुछ माह पूर्व गहलोत जब सीकर आए थे तब वह यह कहकर गए थे मीडिया का एक ग्रुप लोगों के कान भर रहा है और उसे गुमराह कर नए लड़कों की प्रसिद्धी  बता रहा है और इसी कान भरने की वजह से कुछ लोग अपने आपको मुख्यमंत्री का उम्मीदवार मान रहे हैं, सीधे तौर पर सचिन पायलट के अलावा ये इशारा किसी पर भी नहीं था या बच्चा बच्चा जानता है। 
ऐसा लगता है गहलोत सचिन पायलट को आगे नहीं आने देना चाहते और उन्होंने सीकर में हुए कार्यक्रम में भी नहीं आकर यह दिखाने की कोशिश की कि उनके नहीं आने से कार्यक्रम में जान नहीं आएगी और सचिन पायलट अकेले जाकर देखलें मगर हुआ इसका उलटा ही। जितने कार्यकर्ता गहलोत के आने पर भी नहीं इकट्ठे हुए थे उसके 50 गुना सचिन पायलट के आने पर इकट्ठे हो गए इसमें पूरा ज़ोर कांग्रेस के लोकल लीडर्स ने भी लगाया, मोरदया और सुभाष महरिया ने मिलकर रिकार्ड बनवा दिया। सचिन पायलट जब सीकर आए तो उनकी कार्यशैली की सभी ने तारीफ़ की, यहाँ तक कि वह   राजेन्द्र पारीक को अपनी गाड़ी में साथ बिठाकर सभा स्थल तक ले गए जिस गाड़ी को वो ख़ुद चला रहे थे। 
सचिन पायलट की लोकप्रियता युवाओं में ही नहीं बल्कि वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में भी सिर चढ़कर बोल रही है और इसी वजह से अशोक गहलोत और उनकी टीम कांग्रेस की मुख्यधारा से हटकर अपने प्रचार भी कर रही  दिखती है। इसका पूरा ठीकरा जब तब मीडिया के ऊपर फोड़ा जाता है मगर अब गहलोत को कई सवालों के जवाब देने पड़ेंगे जिन्हें हम उठाने वाले हैं। 
सबसे बड़ा सवाल गहलोत को सामना करना पड़ेगा वो ये है कि कांग्रेस कार्यकारिणी की IT सैल होते हुए भी उन्होंने अपनी अलग से कॉंग्रेस सायबर सेल कैसे चला रखी है जिसमें कार्यकर्ताओं को वह तनख्वा भी देते हैं। गहलोत की यह कोशिश पार्टी से ऊपर बढ़ कर ख़ुद का चेहरा दिखाने की है। इसी बारे में पूरी तथ्यात्मक रिपोर्ट जल्द सीकर टाइम्स पर आएगी। बार बार अपने बयान बदल कर मीडिया के ऊपर ठीकरा फोड़ देने से काम नहीं चलेगा। नेताओं को अपने कार्यकाल में काम ऐसा करना चाहिए जिसकी वजह से उन्हें जनता सत्ता से बाहर ही ना करें। 


















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