✅आज के समय में रवीश को केवल भाजपा विरोध के कारण जाना जाता है उसके अलावा उसकी कोई पहचान नहीं है। जब तक भाजपा की सरकार रहेगी तब तक रवीश की नैतिकता उसके सर पर रहेगी जैसे ही सरकार बदली वैसे ही रवीश फिर वैसे ही गुमनाम हो जाएगा जैसे पहले उसे लोकल पत्रकार की तरह जाना जाता था।
✅ रवीश कुमार यह कभी नहीं बताएगा कि किस तरह NDTV के मालिक प्रणय राय और चिदंबरम ने मिलकर एक साहसी आईआरएस अधिकारी एसके श्रीवास्तव को इसलिए जबरन पागल घोषित कराकर पागलखाने में डलवाया क्योंकि उसने प्रणय राय-चिदंबरम की ब्लैकमनी की लंबी कहानी पर काम किया और ढेर सारे तथ्य इकट्ठा कर एनडीटीवी को नोटिस भेजने की जुर्रत की.
✅रवीश कुमार आज इतना बड़ा और नैतिक पत्रकार बनता है मगर पिछली सरकार में इतने बड़े बड़े घोटाले हुए फिर भी रवीश के प्राइम टाइम में ख़बर की एक पट्टी तक नहीं चली। मजाल है कि चिदंबरम के ख़िलाफ़ कोई न्यूज़ NDTV पर चल जाए। ऐसा लगता है जैसे चिदंबरम ने ख़ूब दबा दबा के प्रणय रॉय के साथ गेम किये हैं यह ये भी हो सकता है कि प्रणय तो सिर्फ़ एक चेहरा भर हों और NDTV का असली मालिक किसी दिन चिदंबरम ही निकले। निष्पक्ष पत्रकारिता के नाम पर रवीश का काम सिर्फ़ इतना है कि वह कांग्रेस के घोटालों के बारे में यह कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि मामला कोर्ट में है और पकोड़े पंचर और सहिष्णुता के नाम पर मदारी का खेल करता है।
✅रवीश कुमार की हिप्पोक्रेसी की हकीकत यही है कि वह करप्शन में आकंठ डूबे अपने मीडिया समूह एनडीटीवी ग्रुप की काली कहानी पर कुछ नहीं बोल सकता.
✅यही नहीं, एनडीटीवी ग्रुप की काली कहानी का पर्दाफाश करने वालों तक का आन स्क्रीन नाम भी नहीं ले सकता. वह अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों की बेबाकी का खूब वर्णन करेगा लेकिन भारत के वे पत्रकार कतई नहीं दिखेंगे जो एनडीटीवी की नंगई व करप्शन की कहानी का पर्दाफाश करते रहते हैं. रवीश कुमार चाहे जितना आजाद खयाल और बेबाक पत्रकार बने लेकिन सच यही है कि वह एक अव्वल दर्जे का हिप्पोक्रेट है और उसे एड़ा बनकर पेड़ा खाने की रणनीति इंप्लीमेंट करने की शैली अच्छी तरह से आती है. वह खुद को भाजपाइयों से पीड़ित बता बताकर गैर-भाजपाइयों की निगाह में खुदा बनने की लंबे समय से कोशिश करने लगा है, और बनने भी लगा है।
इस लिंक पर जाकर रवीश की नौटंकी और पढिये
https://www.bhadas4media.com/ravish-nautanki/
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