सरकार सभी प्याज दस रूपये में खरीद कर दस रूपये में राशन की दूकान से बेचे जिससे उपभोगता और किसान दोनों को फायदा हो ये दमदार मांग उठाई है अमराराम ने कल मंडी की सभा में और ऐसा करते हुए उनके आस पास कई प्याज व्यापारी बैठे बगले झांकते नजर आये | बता दें कि किसान नेताओं में से बहुत ऐसे हैं जो प्याज-अनाज खरीद फरोख्त की ही कमाई खा रहे हैं और जब भी माकपा किसान आन्दोलन करती है तो चंदा भी देते हैं और अग्रिणी पंक्ति में बैठते हैं | सचमुच बेहद क्रांतिकारी विचार है अमराराम के और सभी को इसका स्वागत करना चाहिए|
पेमाराम गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज़ उठा चुके हैं
इसके एक ही महीने पहले रूस के कम्युनिस्ट लेनिन की भारत में मूर्ति तोड़े जाने पर पेमाराम ने भी गुंडागर्दी के खिलाफ दमदार भाषण दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा कार्यकर्ता गुंडागर्दी करते हैं मगर अपने ही कार्यालय में निहत्थे पत्रकार पर अपने ही कार्यकर्ताओं द्वारा हमला करवाने को वो गुंडागर्दी नहीं मानते , गाली गलोच, जान से मार देने की धमकी को वो तबतक नहीं मानेंगे जब तक किसी दूसरी पार्टी वाला न करे, खुदके कार्यकर्ता तो शराफत की मिसाल मानना सभी राजनीतिज्ञों का धर्म होता है, इसमें इतनी बड़ी बात क्या है | पेमाराम का गुंडागर्दी के विरोध में इस प्रकार का भाषण सुनकर सभी श्रोता बगले झाँक रहे थे और पत्रकार विश्वास नहीं कर पा रहे थे, हम भी वहीँ थे और सोच रहे थे राजनेताओं की वाणी में कितना रस है, आहा ! ऐसे विचारों के प्रचारक पेमाराम धन्य है |
प्याज ही क्यूँ, गेहूं, चना, मूंगफली सभी सरकार सीधा खरीद कर राशन की दुकानों पर उपलब्ध करवाए
आम उपभोगता अपनी गाडी में पेट्रोल डलवाकर ही इतना उदास हो जाता है कि सरकार अगर ऐसी व्यवस्था कर दे तो उसकी जेब पर बहुत बड़ा फरक पड़ेगा, जहाँ गेहूं/ आटा पच्चीस रूपये तक भी खरीदना पड़ जाता है वहां गेहूं सिर्फ पंद्रह-सोलह रूपये किसान को बेचना पड़ता है तो ये दस रूपये तो बचेंगे | सीकर में चक्की वाला हर किलो पर डेढ़ से दो रुपया पिसाई लेता है जबकि बड़े कारखानों में पंद्रह पैसे से ऊपर नहीं आटा तो सरकार को पंद्रह की जगह सोलह रूपये में गेहूं करीद कर सत्रह में राशन की दूकान पर देना चाहिए कि नहीं |
सिर्फ प्याज़ पर अटके रहना और कुछ दिनों बाद चने पर आन्दोलन करने का क्या मतलब, सभी दाल, दलहन, प्याज, लहसुन सरकार खरीदे और सीधा राशन की दूकान पर भेजे, मंडी में इनकी दूकान निरस्त कर दे इस मांग का
आम उपभोगता पूरी तरह अमराराम और सरकार दोनों का समर्थन करेगा और भारी बहुमत मिलेगा | इस मांग ने सभी किसानो और उपभोगताओं का दिल जीत लिया है और कुछ सौ व्यापारी नाराज़ भी हो जायेंगे तो वोट पर कोई फरक नहीं पड़ेगा और वैसे भी आत्महत्या किसान ही करता है
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