माकपा ने खुद स्वीकारा किसान आन्दोलन एक राजनैतिक पार्टी का आन्दोलन था
ये बात सीकर से बाहर की मीडिया के लिए बड़ी खबर हो सकती है कि राजनैतिक पार्टी खुद ये स्वीकार कर रही है "किसान आन्दोलन" केवल किसानो का गैर राजनैतिक आन्दोलन न होकर एक राजनैतिक पार्टी का आन्दोलन भर था | अभी अभी प्रेस विज्ञप्ति जारी करके माकपा ने खुद ये स्वीकारा है कि माकपा जिला सचिव ने किसान आन्दोलन को अपनी पार्टी की उपलब्धि बताया है (न कि किसानो की)
अमराराम को किसान सभा के नहीं बल्कि माकपा के राज्य सचिव के तौर पर स्वीकार किया
किसान आन्दोलन का गुणगान करते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी करने वाले ये स्वीकार कर गए कि अमराराम ने माकपा के राज्य सचिव के तौर पर कर्ज माफ़ी का आन्दोलन किया था (न कि किसान सभा के)
महाराष्ट्र किसान आन्दोलन में भी अमराराम विशेष तौर पर भाषण देने गए थे जहाँ उन्होंने एक बार भी माकपा न नाम नहीं लिया था, ऐसा करने पर नेशनल मीडिया तुरंत इस बात का मुद्दा बना लेता
महाराष्ट्र किसान आन्दोलन को गैर राजनेतिक पेश करने वालों की मेहनत पर पानी फिरा
हर एक कदम फूंक फूंक कर रखने वाले माकपा नेताओं के लिए ये एक बड़ा झटका है कि जो बात उन्होंने कैसे न कैसे बोलने से परहेज़ की वो सीकर में खुद पार्टी वालों ने विज्ञप्ति में निकाल दिया | अबतक पूरी मीडिया के आगे आन्दोलन को गैर राजनैतिक बताने कि भरसक कोशिश की जा रही थी और उसमें सभी ऐसे लोगों को सामने लाया जा रहा था जो राजनीती से सीधे तौर पर जुड़े हुए नहीं हैं | अपने महाराष्ट्र के भाषण में अमराराम ने भी ध्यानपूर्वक कभी माकपा का जिक्र नहीं किया मगर आज पोल खुल गई
सीकर वालों के लिए ये कोई बड़ी खबर नहीं है
सीकर में सब जानते हैं कि विधायक जब चुनाव हार जाते हैं तो आन्दोलन करते हैं, और यहाँ पर जो राजनीती हो रही थी वो सबको पता थी इसमें कोई शक नहीं था मगर जब हमने आन्दोलन में कुछ ग्रामीणों से बात की तो वो कोंग्रेस और भाजपा समर्थक थे मगर लाल झंडे को किसान का झंडा मानते थे, ये बात ऐसे आन्दोलनकारियों के लिए भी आँखें खोलने वाली साबित होगी
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