इतिहास के पन्नो में कई बातें लिखी होती हैं मगर उसको सामने आने तक उनका स्वरुप बदल जाता है | आम धरना ये है कि बाबा साहब को उनके चुनाव के समय कांग्रेस पार्टी ने हराया था जो कि रिजल्ट के हिसाब से देखा जाए तो सही भी है मगर उनके वोट काटने में दूसरी पार्टियों का क्या रोल रहा है वो जानिये
हरवाने के लिए वोट बर्बाद करवाए कम्युनिस्ट पार्टी ने ?
राजनारायण चंदावरकर की लिखी किताब "हिस्ट्री कल्चर एंड द इंडियन सिटी" में इस बात का वर्णन मिलता है कि कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी चुनाव में उतारा जरुर था मगर बाबा साहब के वोट काटने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्य ने अपने मेम्बरों को अरक्षित सीट पर अपना मत बर्बाद करने के निर्देश दिए थे | श्रीपाद अमृत डांगे को पता था कि डॉ आम्बेडकर की प्रसिद्धि लोगों के सर चढ़कर बोलती है और उनके वोट बाबा साहब को जा सकते हैं इसलिए उन्होंने बड़े स्तर पर कैंपेन चलाई और अंतत: कांग्रेस की चुनाव में जीत हुई
डॉ आम्बेडकर ने खुद माना कम्युनिस्ट कैम्पेन को हार का कारण
डॉ अम्बेडकर चुनाव में अपनी हार का इसे कारण माना करते थे और इसीके चलते सेंट्रल बॉम्बे की सीट पर वो चुनाव नहीं जीत पाए थे | देखिये इतिहास की बुक के पेज 161 का स्क्रीनशॉट
अन्य जानकारी कहाँ से लें बाबा साहब से जुडी इतिहास की ?
बाबा साहब के विचारों पर बनी वेबसाइट drambedkarbooks.com और भी कई रोचक सामग्री उपलब्ध है | इतिहास को ठीक से जानने के लिए उसको पढना जरुरी होता है
सीकर टाइम्स बाबा साहब के आदर्शों का घनघोर समर्थक
सत्य का साथ देना कठिन है मगर बाबा साहब से प्रेरणा मिलती है | हमारे ऊपर दो बार आक्रमण हुआ है, पहली बार तब हुआ जब हम गरीब छात्रों और शोषित निजी शिक्षकों की आवाज़ उठा रहे थे और दूसरी बार तब हुआ जब हम कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर उनसे पूछ रहे थे कि महिलाओं दिवस पर माकपा विरोध क्यूँ कर रही थी | उपेक्षित, दलित, गरीब, महिलाओं के हक की आवाज़ उठाना कठिन है मगर बाबा साहब का जीवन हमें प्रेरणा देता है | हमें हैरानी थी कि निजी संघ जब हड़ताल कर रहा था कि वो गरीब निजी शिक्षकों को कितना पैसा देता है ये विश्वविद्यालय को नहीं बताएगा और गरीब छात्रों से फीस लेकर भी उनको सुविधा नहीं देता उसका निरिक्षण नहीं करवाएगा तो कम्युनिस्ट छात्रसंघ SFI निजी संघ के समर्थन में नारेबाजी कर रहा था | गरीबों छात्रों के खिलाफ छात्रसंघ का आना हो या 1952 में बाबा साहब का चुनावी विरोध, कई बातें आज तक नहीं बदली
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