चार दिन से चल रही चिकित्सकों की हड़ताल हठधर्मी सरकार और संवेदनहीन चिकित्सकों के कारण बदस्तूर जारी है। सीकर जिले का सबसे बड़ा श्री कल्याण राजकीय अस्पताल वीरान पड़ा है। यहाँ नीरवता ने डेरा डाल रखा है। इस नीरवता को तोड़ने चंद आयुष चिकित्सक ट्रोमा में बैठे है जिनको सूई लगाने तक का अधिकार नहीं है। जिले का सबसे बड़ा अस्पताल होने के कारण प्रतिदिन यहाँ रोगी चिकित्सा करवाने आते हैं। यहाँ आकर वे दुःखी और निराश होकर लौटते हैं। गंभीररूप से घायल रोगी दम तोड़ रहे हैं। चिकित्सा के अभाव में रोगी तड़प रहे हैं। आपरेशन टाले जाने के कारण मज़बूरन रोगी निजी चिकित्सालय में जा रहे हैं। कल ज़नाना अस्पताल में एक प्रसूता ने गर्भ में ही अपना लाल खो दिया। मानवता की सांस फूल रही है। निजी चिकित्सालय अवसर का फायदा उठा रहे हैं। निर्धन और मज़बूर रोगी की निजी चिकित्सालय जेब काट रहे हैं। निजी चिकित्सालयोंं में इन दिनों घी के दीपक जल रहे हैं।
जनता संत्रस्त है। उसका अपार दुःख देखकर भी सरकार कोई कड़े कदम नहीं उठा रही हैं। सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द चिकित्सकों की मांगें मानकर उनको काम पर भेजें या फिर रेस्मा के तहत चिकित्सक और चिकित्सक नेताओं की धरपकड़ करें । कल शिव सेना ने घोषणा की है कि वो चिकित्सकों की धरपकड़ करेगी।हो सकता है शाम होते होते अन्य संगठन भी इसी तरह की घोषणा करें। (चिकित्सकों को चाहिए था कि वे जापान से प्रेरणा लेते। जापान में कार्यस्थल से बिना अनुमति चला जाना राष्ट्रद्रोह माना जाता है। वहाँ कर्मचारी विरोध के लिए अधिक उत्पादन व अधिक काम करते हैं। इस उक्ति से अपनी मांगे मनवाते हैं । ) जो काम सरकार और पुलिस के बजाय जनता करती है तो समझो सरकारी तंत्र पूरी तरह से विफल हो गया है। धरती के भगवान् भूमिगत हो गए हैं। चिकित्सा मंत्री हड़ताल तुड़वाने में असहाय नज़र आए। चिकित्सक तीन महीने से मांगें मनवाने के लिए रणनीति बना रहे थे। सरकार ने चिकित्सकों की धमकी को हलके में लिया। सरकार का खुफ़िया तंत्र भी निष्क्रिय रहा। वो आगामी संकट को भांप न सका। सीकर टाइम्स ने आने वाले संकट के बारे में बहुत पहले खुलासा किया था।
सरकार ऊहापोह की स्थिति में है। अन्यमनस्क सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। संवाद से ही किसी समस्या का समाधान संभव है । संवादहीनता और हठधर्मिता फ़ासले पैदा करने का काम करती है। सरकार को चाहिए कि वो तत्काल अनुभवी मंत्री और सरकार के संकट मोचक राजेन्द्र राठौड़ को साथ लेकर चिकित्सकों से संवाद कर इस समस्या से प्रदेश को निजात दिलाएं।
जनता संत्रस्त है। उसका अपार दुःख देखकर भी सरकार कोई कड़े कदम नहीं उठा रही हैं। सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द चिकित्सकों की मांगें मानकर उनको काम पर भेजें या फिर रेस्मा के तहत चिकित्सक और चिकित्सक नेताओं की धरपकड़ करें । कल शिव सेना ने घोषणा की है कि वो चिकित्सकों की धरपकड़ करेगी।हो सकता है शाम होते होते अन्य संगठन भी इसी तरह की घोषणा करें। (चिकित्सकों को चाहिए था कि वे जापान से प्रेरणा लेते। जापान में कार्यस्थल से बिना अनुमति चला जाना राष्ट्रद्रोह माना जाता है। वहाँ कर्मचारी विरोध के लिए अधिक उत्पादन व अधिक काम करते हैं। इस उक्ति से अपनी मांगे मनवाते हैं । ) जो काम सरकार और पुलिस के बजाय जनता करती है तो समझो सरकारी तंत्र पूरी तरह से विफल हो गया है। धरती के भगवान् भूमिगत हो गए हैं। चिकित्सा मंत्री हड़ताल तुड़वाने में असहाय नज़र आए। चिकित्सक तीन महीने से मांगें मनवाने के लिए रणनीति बना रहे थे। सरकार ने चिकित्सकों की धमकी को हलके में लिया। सरकार का खुफ़िया तंत्र भी निष्क्रिय रहा। वो आगामी संकट को भांप न सका। सीकर टाइम्स ने आने वाले संकट के बारे में बहुत पहले खुलासा किया था।
सरकार ऊहापोह की स्थिति में है। अन्यमनस्क सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। संवाद से ही किसी समस्या का समाधान संभव है । संवादहीनता और हठधर्मिता फ़ासले पैदा करने का काम करती है। सरकार को चाहिए कि वो तत्काल अनुभवी मंत्री और सरकार के संकट मोचक राजेन्द्र राठौड़ को साथ लेकर चिकित्सकों से संवाद कर इस समस्या से प्रदेश को निजात दिलाएं।
एक टिप्पणी भेजें