सीकर के सबसे बड़े श्री कल्याण राजकीय अस्पताल व जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर सेवारत चिकित्सकों में से किसी एक भी चिकित्सक की गिरफ़्तारी नहीं होने के कारण आमजन में सीकर प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश व्याप्त है। लोगों का कहना कि यहां का प्रशासन पूरी तरह से निष्क्रिय है । आज दो बजे़ अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ और चिकित्सा मंत्री के बीच वार्ता होगी। अगर यह वार्ता विफल रही तो जनता का गुस्सा सड़कों पर उतर सकता है।
दुर्घटनाग्रस्त रोगी दम तोड़ रहे हैं, आपरेशन टाले जा रहे हैं। गंभीररूप से घायलों के करुण रुदन से अस्पताल का वातावरण हृदयविदारक हो गया है। कातर ध्वनि के बीच प्रशासन मौन धारण करके बैठा है। हठधर्मी सरकार और संवेदनहीन चिकित्सकों ने मानवता का गला घोंट दिया है। सरकार और संघ के बीच वार्ता के दौर चल रहे हैं । दोनों के बीच सहमति नहीं बन पा रही हैं। कल की वार्ता में ऐसा लगा मानों शह और मात का खेल चल रहा हो। चिकित्सा मंत्री असहाय नज़र आए। वो पूरी तैयारी के साथ नहीं आए। संघ के अध्यक्ष के पैंतरो का उनके पास कोई तोड़ नहीं था। अध्यक्ष बार-बार 10 हज़ार पे ग्रेड की मांग पर अड़े थे। आख़िर बात नहीं बनी। बनती कैसे दोनों के पास मांग-पत्र ही अलग- अलग था। बात के लिए अंत में सरकार ने आज 2 बज़े चिकित्सकों को चाय पर बुलाया है।
कुछ चिकित्सक माउंट आबू पर आबो हवा बदल रहे हैं और वहाँ की वादियों में वारुणीपान कर ऊलजलूल बयान दे रहे हैं। अन्य चिकित्सक थार के रेतीले टीमों में जश्न मना रहे हैं। पीड़ित मानवता की सेवा का संकल्प लेना वाला चिकित्सक समुदाय और आमजन की सुरक्षा और स्वास्थ्य का वादा कर सत्ता में आने वाली सरकार ने जन मानस को संपीडित किया है। जनता का इन दोनों के प्रति विश्वास उठ गया है।
सामाजिक संगठनों ने कल श्री कल्याण अस्पताल का जायज़ा लिया। संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर कहा कि प्रशासन को चाहिए की वो सेना की मदद लें।
ध्यातव्य है कि अलवर, बाढ़मेर सहित अनेक जिलों में सेना के चिकित्सको ने मोर्चा संभाल लिया है। अब देखना यह है कि प्रशासन आमजन के हित में कौनसा कदम उठाता है।
कहाँ तो तय था चिरागाँ हर एक घर के लिए ।
कहाँ चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए।।
दुर्घटनाग्रस्त रोगी दम तोड़ रहे हैं, आपरेशन टाले जा रहे हैं। गंभीररूप से घायलों के करुण रुदन से अस्पताल का वातावरण हृदयविदारक हो गया है। कातर ध्वनि के बीच प्रशासन मौन धारण करके बैठा है। हठधर्मी सरकार और संवेदनहीन चिकित्सकों ने मानवता का गला घोंट दिया है। सरकार और संघ के बीच वार्ता के दौर चल रहे हैं । दोनों के बीच सहमति नहीं बन पा रही हैं। कल की वार्ता में ऐसा लगा मानों शह और मात का खेल चल रहा हो। चिकित्सा मंत्री असहाय नज़र आए। वो पूरी तैयारी के साथ नहीं आए। संघ के अध्यक्ष के पैंतरो का उनके पास कोई तोड़ नहीं था। अध्यक्ष बार-बार 10 हज़ार पे ग्रेड की मांग पर अड़े थे। आख़िर बात नहीं बनी। बनती कैसे दोनों के पास मांग-पत्र ही अलग- अलग था। बात के लिए अंत में सरकार ने आज 2 बज़े चिकित्सकों को चाय पर बुलाया है।
कुछ चिकित्सक माउंट आबू पर आबो हवा बदल रहे हैं और वहाँ की वादियों में वारुणीपान कर ऊलजलूल बयान दे रहे हैं। अन्य चिकित्सक थार के रेतीले टीमों में जश्न मना रहे हैं। पीड़ित मानवता की सेवा का संकल्प लेना वाला चिकित्सक समुदाय और आमजन की सुरक्षा और स्वास्थ्य का वादा कर सत्ता में आने वाली सरकार ने जन मानस को संपीडित किया है। जनता का इन दोनों के प्रति विश्वास उठ गया है।
सामाजिक संगठनों ने कल श्री कल्याण अस्पताल का जायज़ा लिया। संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर कहा कि प्रशासन को चाहिए की वो सेना की मदद लें।
ध्यातव्य है कि अलवर, बाढ़मेर सहित अनेक जिलों में सेना के चिकित्सको ने मोर्चा संभाल लिया है। अब देखना यह है कि प्रशासन आमजन के हित में कौनसा कदम उठाता है।
कहाँ तो तय था चिरागाँ हर एक घर के लिए ।
कहाँ चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए।।
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