लाइव बहस में पूरे राजस्थान नें देखा कि इतनी मीटिंगों के बाद भी चिकित्सा मंत्री को डॉक्टरों की मांगों का सही सही पता ही नहीं है। सवाल यह उठता है कि फिर मीटिंग के अंदर आखिर चिकित्सा मंत्री कर क्या रहे थे। कालीचरण सराफ के पास जो मांग पत्र था जिसे उन्होंने मीडिया के सामनेे लहराया उस मांग पत्र को डॉ चौधरी ने नकली करार दिया और उन्होंने फरमाया की असली मांग पत्र पर सभी डॉक्टरों ने हस्ताक्षर करके कलेक्टरों के माध्यम से भिजवाए हुए हैं तथा स्वयं मंत्री जी को भी दिया हुआ है। लाइव डिबेट पर हुए घटनाक्रम से सरकार की भारी किरकिरी हुई है और ऐसा लग रहा है जैसे राज्य का स्वास्थ्य महकमा काफी दिनों से गहरी नींद में है और इसी नींद में ही उन्होंने मीटिंग भी अटेंड कर ली थी जिसका खामियाजा राज्य की जनता को भुगतना पड़ रहा है। गौरतलब है कि कल चिकित्सा मंत्री ने मीडिया के सामने कई लिफाफों को खाली पन्नों से भरा हुआ दिखाकर बोला था कि डॉक्टरों ने इस्तीफे नहीं दिए हैं बल्कि खाली पन्नें डालकर लिफाफे दिए हैं जिसका अजय चौधरी एवं डॉ ओला ने खंडन किया था और यह कहा था कि मंत्री जी झूठ बोल रहे हैं। आज के गैरजिम्मेदाराना और मीडिया के सामने हुए टकराव को देखकर यह लग रहा है जैसे मंत्री जी तक गलत खबरें पहुंच रही हैं और उनके पास लिफाफे भी कोई गलत पहुंचा रहा है और जिस मांग पत्र को लेकर वह बहस कर रहे थे वह भी गलत था इसलिए सहमति नहीं हो पा रही थी। आश्चर्य है इस बात का कि टेबल के दोनों तरफ बैठे लोगों के हाथों में अलग-अलग मांग पत्र थे जिन पर वह चर्चा कर रहे थे। मगर यह जानना जरूरी है किस चीजो की जगह खाली पन्ने डालकर चिकित्सा मंत्री के सामने वह लिफाफे किसने दिए साथ ही जिस मांग पत्र को पूरा प्रदेश जानता है उस्मान पत्र की जगह दूसरा मांग पत्र बनाकर चिकित्सा मंत्री के हाथ में किसने दिया। उम्मीद है थोड़ी देर में ईटीवी/ETV राजस्थान इस बहस को अपने यूट्यूब channel पर डाल देगा
ईटीवी/ETV की पहल पत्रकारिता की दुनिया में एक उदाहरण है। पूरे राजस्थान के सामने यह साफ़ हुआ कि मंत्री जी के पास में कोई दूसरा माँग पत्र था जबकि चर्चा किसी और माँग पत्र पर चल रही थी और शायद यही एक कारण है कि अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। उन अधिकारियों पर जाँच होनी चाहिए जो मंत्री जी को अंधेरे में रख रहे हैं और सुलह नहीं होने दे रहे जिसका खामियाजा राजस्थान की जनता भुगत रही है। आख़िर ऐसा कैसे हो गया कि कलक्टरों के माध्यम से भिजवाए गए माँग पत्र को बदलकर मंत्री जी के हाथ में दूसरा माँग पत्र थमा दिया गया और इसके चलते अधिकारियों ने पूरी सरकार की मंत्री जी के हाथों live डिबेट में किरकिरी करां दी। Dr. अजय चौधरी ने भी वार्ता के दौरान अधिकारियों की डॉक्टरों के प्रति बतमीजी की शिकायत करी थी और अब ठोस सबूत भी सबके आगे आ गया है कि सहमति बनने देने में वो अधिकारी ही असली रोड़ा है जो मंत्री जी और डॉक्टरों के बीच में दस्तावेजों की हेर फेर कर रहे हैं। Dr. अजय चौधरी के ख़ुलासे के बाद मंत्री जी भी सकपकाए हुए दिखे फिर भी उन्होंने अपने आप को संभालते हुए डॉक्टरों को चाय का आमंत्रण दे दिया जिसे डॉक्टरों ने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया। लगता है कल बात बन जाएगी और सीकर की जनता की साँसों में सांसें आएंगी
ईटीवी/ETV की पहल पत्रकारिता की दुनिया में एक उदाहरण है। पूरे राजस्थान के सामने यह साफ़ हुआ कि मंत्री जी के पास में कोई दूसरा माँग पत्र था जबकि चर्चा किसी और माँग पत्र पर चल रही थी और शायद यही एक कारण है कि अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। उन अधिकारियों पर जाँच होनी चाहिए जो मंत्री जी को अंधेरे में रख रहे हैं और सुलह नहीं होने दे रहे जिसका खामियाजा राजस्थान की जनता भुगत रही है। आख़िर ऐसा कैसे हो गया कि कलक्टरों के माध्यम से भिजवाए गए माँग पत्र को बदलकर मंत्री जी के हाथ में दूसरा माँग पत्र थमा दिया गया और इसके चलते अधिकारियों ने पूरी सरकार की मंत्री जी के हाथों live डिबेट में किरकिरी करां दी। Dr. अजय चौधरी ने भी वार्ता के दौरान अधिकारियों की डॉक्टरों के प्रति बतमीजी की शिकायत करी थी और अब ठोस सबूत भी सबके आगे आ गया है कि सहमति बनने देने में वो अधिकारी ही असली रोड़ा है जो मंत्री जी और डॉक्टरों के बीच में दस्तावेजों की हेर फेर कर रहे हैं। Dr. अजय चौधरी के ख़ुलासे के बाद मंत्री जी भी सकपकाए हुए दिखे फिर भी उन्होंने अपने आप को संभालते हुए डॉक्टरों को चाय का आमंत्रण दे दिया जिसे डॉक्टरों ने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया। लगता है कल बात बन जाएगी और सीकर की जनता की साँसों में सांसें आएंगी
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