दिल्ली के करदाता भी उतना ही पैसा देते हैं जितना सीकर के करदाता, मगर जब अव्वल दर्जे के कॉलेज खोलने की बात आती है तो वह दिल्ली में खोले जाते हैं सीकर में नहीं | ऐसा क्यों है कि दिल्ली के JNU में घुसते हुए पुलिस को पसीना आ जाते हैं मगर SK के अंदर घुस के छात्रों को जमकर धूना जाता है, नहाते हुए छात्रों को दौड़ा दौड़ा कर पीटा जाता है और बाद में एक दुसरे को हंस हंसकर बताया जाता है कि मैंने उसके ऐसे दी, वैसे दी |
लोकतंत्र में सबको बराबरी का अधिकार है मगर यह बराबरी क्या है इस बारे में लोकतंत्र में वोट देने वाले लोग ही नहीं जानते |
कुछ सरफिरे लोगों ने उल्टी-सीधी हरकत करी JNU में तो राष्ट्रीय खबर बन गई और जो राष्ट्रीय खबर बनी वह धीरे-धीरे अंतराष्ट्रीय खबर भी बन गई, मगर एस के कॉलेज में इतने अच्छे काम होते हैं, उनके बारे में दिल्ली तो छोड़ो सीकर तक में पूरी तरीके से बात नहीं करी जाती | यह दोगलापन मीडिया का भी है और साथ ही मैं अखबार पढ़ने वाले लोगों का भी, उन्हें दिल्ली की बातों को जानने में ज्यादा मजा आता है मगर अपने खुद के सीकर की बातों को जानने में नहीं |
इस बात को इस तरह भी कह सकते हैं कि सीकर की जनता का दिमाग तो जयपुर और दिल्ली में रहता है मगर शरीर उनका सीकर में भटकता रहता है | आप किसी शादी ब्याह या अन्य अवसर पर चले जाइए वहां लोग जमघट लगा कर कहीं-कहीं खड़े रहते हैं और उनकी बातों में पूरा का पूरा दिल्ली की राजनीति, अमेरिका की कूटनीति और पाकिस्तान की आतंकनीति ही विषय में रहती है | पिछले कुछ समय में सीकर में भी देखने में आया है की साफ-सफाई पर काफी काम हो रहा है, पेड़ पौधे भी लगे हैं और इसमें सरकार या नगर पालिका का कम और नागरिक बंधुओं का ज्यादा योगदान रहा है, मगर इस तरीके की अच्छी बातों के बारे में चर्चा करने में लोगों को मजा नहीं आता और यही सबसे बड़ी समस्या है |
सीकर टाइम्स खासतौर पर उन सभी बातों को सामने लेकर आएगा जिन बातों में सीकर वासी को सरोकार होना ही चाहिए | अगर आप भी कुछ नया एजेंडा लेकर सामने आते हैं तो हमारे facebook पेज पर मैसेज कर बता सकते हैं और आपके मैसेज के अनुसार जैसा भी अनुरोध होगा उस पर खबर जुटाने, नीतियां जुटाने और लोगों का ध्यान आकर्षित करने में सीकर टाइम्स अपनी भूमिका अदा करेगा | आप पढ़ते रहिए सीकर टाइम्स क्योंकि सीकर टाइम्स में सिर्फ सीकर जिले की ही ख़बरें प्रकाशित होती हैं और होती ही रहेंगी | सीकर ही हमारी जान है और सीकर हमारे लिए दिल्ली से और अम्रीका से भी ज्यादा महान है |
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