एक ख़ास तरह के लोग गैंग बनाकर सुबह से वायरल कर रहे थे मेसेज और पड़ताल में सामने आया कि उनकी यही कहानी है ब्लैकमेल करना और दबाव बनाना | मगर सीकर टाइम्स की बेखौफ रिपोर्टिंग ने मचा दी गैंग में हाहाकार
२. ऍफ़ आई आर हो जाने के बावजूद कानून पर ये ख़ास किस्म के लोग विश्वास नहीं कर रहे और रिपोर्ट लिखे होने के बावजूद सोशल मीडिया पर कानून की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं
३ मेसेज में लिखा गया कि बेहोश करने के पंद्रह सौ रूपये होते हैं जो एकदम हास्यास्पद है | ऐसा कोई सरकारी रूल न आज है न आगे बनने की उम्मीद है
४ जिस डॉक्टर से ब्लैक मैलिंग कर रहे हैं उसके बाद जो दुसरे डॉक्टर हैं उन्होंने भी वही बात बताई जो इसने बताई थी और इससे पहले वाले ने भी वही बताई थी मगर बीच के एक डोक्टर पर ही हमला कर रखा है इन्होने
५ वायरल करने वाले लोगो ने खुद ही मान लिया कि डाक्टर ने लापरवाही करी थी जैसे वो खुद ही बड़े वाले डाक्टर हों, ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया गया जहाँ पर किसी भी लेवल की लापरवाही दिखाई दे
६ ऐसा लिखा गया कि दूसरा ऑपरेशन भी ठीक से नहीं होने के कारन पीड़ित की आँखों की रौशनी गई जबकि पहले वाले डोक्टर ने ही अपनी पर्ची में "poor prognosis" लिखा हुआ था जिसका मतलब चांस ना के बराबर होता है फिर इस वाले डोक्टर के पास आने पर ही ऑपरेशन ख़राब कैसे हुआ ?
७ उसके बाद भामाशा कार्ड और अन्य तरीके की पैसों वाली बात लिखी हुई है जो कि आराम से कानूनी तौर पर सत्यापित हो सकती है और जिसको किसी तीसरे पक्ष की जरुरत ही नहीं है |
८ इतने बेबाक हो रहे हैं ये वायरल करने वाले लोग जो रिकॉर्डिंग होने की बात भी कर रहे हैं और साथ ही फोटो तो डाल रहे हैं मगर रिकॉर्डिंग साथ में किसी को नहीं सुना रहे, भला क्यों?
९ डाक्टर के खिलाफ एप्लीकेशन दी जायेगी ये बता रहे हैं मगर इतने दिनों में भी अर्जी दी नहीं है मतलब ये मामला ब्लैक मेल करने का ही है नहीं तो अर्जी दे देते रुके हुए क्यों हैं ?
यही कहानी है हर दुसरे दिन की
दबी जुबान में डाक्टर बताते हैं कि ऐसे लोगो से कुछ ले देकर पीछा छुडाओ तो अच्छा | मगर एक दो डाक्टर जो अड़ जाते हैं उनको सामना कर जाना पड़ता है "बुरे दिनों" का | सुबह से ही हमारे पास एक के बाद एक लोग ये मेसेज भेज रहे थे कि इस समय सीकर में ये वायरल खबर चल रही है और आप दिखाओ इसको बिना देरी करे, हम आपकी खबर को दस ग्रुप में डालेंगे और आप मशहूर हो जाओगे और हमारे समाज में आपकी अच्छी पकड़ बनेगी वगरह | मगर जब हमने वायरल पोस्ट पढ़ी तो उसमें कई सारी विसंगतियां दिखाई दी और पड़ताल करी तो मामला पूरा ही उल्टा निकलाजाने मुख्य बिंदु जो अभी तक आपके ध्यान में नहीं आये होंगे
१. किसी भी प्रमाण का न होना जो ये बताये कि डाक्टर ने किसी लेवल पर कोई गड़बड़ी करी है२. ऍफ़ आई आर हो जाने के बावजूद कानून पर ये ख़ास किस्म के लोग विश्वास नहीं कर रहे और रिपोर्ट लिखे होने के बावजूद सोशल मीडिया पर कानून की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं
३ मेसेज में लिखा गया कि बेहोश करने के पंद्रह सौ रूपये होते हैं जो एकदम हास्यास्पद है | ऐसा कोई सरकारी रूल न आज है न आगे बनने की उम्मीद है
४ जिस डॉक्टर से ब्लैक मैलिंग कर रहे हैं उसके बाद जो दुसरे डॉक्टर हैं उन्होंने भी वही बात बताई जो इसने बताई थी और इससे पहले वाले ने भी वही बताई थी मगर बीच के एक डोक्टर पर ही हमला कर रखा है इन्होने
५ वायरल करने वाले लोगो ने खुद ही मान लिया कि डाक्टर ने लापरवाही करी थी जैसे वो खुद ही बड़े वाले डाक्टर हों, ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया गया जहाँ पर किसी भी लेवल की लापरवाही दिखाई दे
६ ऐसा लिखा गया कि दूसरा ऑपरेशन भी ठीक से नहीं होने के कारन पीड़ित की आँखों की रौशनी गई जबकि पहले वाले डोक्टर ने ही अपनी पर्ची में "poor prognosis" लिखा हुआ था जिसका मतलब चांस ना के बराबर होता है फिर इस वाले डोक्टर के पास आने पर ही ऑपरेशन ख़राब कैसे हुआ ?
७ उसके बाद भामाशा कार्ड और अन्य तरीके की पैसों वाली बात लिखी हुई है जो कि आराम से कानूनी तौर पर सत्यापित हो सकती है और जिसको किसी तीसरे पक्ष की जरुरत ही नहीं है |
८ इतने बेबाक हो रहे हैं ये वायरल करने वाले लोग जो रिकॉर्डिंग होने की बात भी कर रहे हैं और साथ ही फोटो तो डाल रहे हैं मगर रिकॉर्डिंग साथ में किसी को नहीं सुना रहे, भला क्यों?
९ डाक्टर के खिलाफ एप्लीकेशन दी जायेगी ये बता रहे हैं मगर इतने दिनों में भी अर्जी दी नहीं है मतलब ये मामला ब्लैक मेल करने का ही है नहीं तो अर्जी दे देते रुके हुए क्यों हैं ?
एक टिप्पणी भेजें